शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009

दर्द भरा अहसास

घाव दिल के छुपाऊँ तो मैं गाऊँ कैसे?


मेरी हर तान में वो दर्द ही लहराता है,
शोज बन कर मेरी आहों में समा जाता है,
वो हँसी, वो अदा, वैसे मचलना उनका,
भूल कर होश में आऊँ तो आऊँ कैसे?

मेरे अफसानों के हर तार में वो होते हैं,
गूँज कर उठे वो करार ऐसे होते हैं,
छुप के आना औ सताना ख्वाब में उनका,
शोखियाँ उनकी गिनाऊँ तो गिनाऊँ कैसे?

लाख चाहा कि ये नगमे न सुनाऊँ लेकिन,
दिल के अरमान बिखर जाएँ न गाऊँ लेकिन
सदके वे शोख, वे भोली निगाहें या रब,
झुक के जो न उठे नाज वो उठाऊँ कैसे?

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

कैसे कह दूँ प्यार न कर तू

कैसे कह दूँ प्यार न कर तू।

सरसिज के मधुरिम सम्पुट में,
बन्दी हो भौंरे सोते हों।
सपनों की अनजान डगर पर,
दीवाने गुनगुन करते हों।

कैसे कह दूँ उन भौंरों से,
मधु गुँजार न कर तू।

चन्दा की बाँहों में बँधकर,
कुमुद खिलखिलाकर हँसती है।
सौरभ से भर कर इठलाती,
वायु भी थम-थम चलती है।

कैसे कह दूँ जीवन-धन से,
रस संचार न कर तू।

रजनी की श्यामल अलकों में,
चन्दा ने सुधबुध हारी हो।
प्रियतम की रस की बातों में,
परवशता मन की थारी हो।

कैसे कह दूँ पागल मन से,
रे अभिसार न कर तू।
कैसे कह दूँ प्यार न कर तू।