बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

सहारा किसको मिलता है

न तू घबरा ऐ मेरे मन।
---सहारा किसको मिलता है।।
कली के पास भौरों का,
-- मधुर गुंजार होता है।
----- बिखर जाती हैं पंखुरियां,
-------- किनारा किसको मिलता है।
-------- सहारा किसको मिलता है।।
मिलन की आस में जलती,
-- शिखा भी सुबह होने तक।
---- मिटाती साँस को तिल-तिल,
------- वह प्यारा किसको मिलता है।
------- सहारा किसको मिलता है।।
गले मिलकर किनारे से,
-- लहर भी लौट पड़ती है।
---- विकल प्यासे ही जाना है,
------ दुबारा किसको मिलना है।
------ सहारा किसको मिलता है।।
गगन में लाखों ही तारे,
-- चमकते, मुस्कराते हैं।
---- अंधेरे में विकल धरती,
------- सितारा किसको मिलता है।
------- सहारा किसको मिलता है।।

2 टिप्‍पणियां:

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

है भाग्य तेरा सबसे बढ़कर हर सपना पूरा होगा ही
न विकल रहो तुम दोस्त मेरे बढ़ते जाना कर्तव्य यही
आपके मेरे ब्लॉग पर पधार कर उत्साह वर्धन के लिए धन्यबाद. पुन: नई रचना ब्लॉग पर हाज़िर आपके मार्ग दर्शन के लिए कृपया पधारे और मार्गदर्शन दें

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत सही सर सुंदर. जारी रहें. शुभकामनाएं.